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|रचनाकार= आलम
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{{KKCatKavitaKKCatKavitt}}[[Category: कवित्त]]
<poem>
चंद्रिका चकोर देखै निसि दिन करै लेखै ,
रीझिबे को पैड़ो अरु बूझ कछु न्यारी है ।
''' आलम का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।'''</Poempoem>