भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*
जोर ज़ौर से बाज़ आये पर बाज़ आयें क्या <br>
कहते हैं हम तुम को मुँह दिखलायें क्या<br><br>
लाग हो तो उस को हम समझें लगाव <br>
जब न हो कुछ भी तो धोका खायेँ खायें क्या <br><br>
हो लिये क्यों नामाबर के साथ-साथ <br>