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न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
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06:12, 16 जनवरी 2010
पाय परे उखरि उभाय मुख छायौ है ।
पाए घरी द्वैक मैं जगाइ ल्याइ ऊधौ तीर
राधा-नाम कीर जब औचक सुनायौ है
॥
॥1॥
</poem>
Himanshu
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