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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / …
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|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
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<poem>
मैं
पढा़ई पूरी करने के बाद सोऊँगी
सोऊँगी ज़रूर नौकरी मिलने के बाद
पहले विवाह करके घर तो बसा लूँ
भेज तो लूँ बच्चे को स्कूल
पढा़-लिखाकर बना तो दूँ
उसे अफसर
विवाह ही कर दूँ उसका
फिर पोते के साथ खूब सोऊँगी
यही सोचते-सोचते गुज़र गई
तमाम उम्र...
और अब नींद नहीं आती।
</poem>
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|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
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मैं
पढा़ई पूरी करने के बाद सोऊँगी
सोऊँगी ज़रूर नौकरी मिलने के बाद
पहले विवाह करके घर तो बसा लूँ
भेज तो लूँ बच्चे को स्कूल
पढा़-लिखाकर बना तो दूँ
उसे अफसर
विवाह ही कर दूँ उसका
फिर पोते के साथ खूब सोऊँगी
यही सोचते-सोचते गुज़र गई
तमाम उम्र...
और अब नींद नहीं आती।
</poem>