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14:44, 24 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पूरी उम्र
लिखती रही मैं
एक ही
प्रेम-कविता
जो पूरी नहीं हुई
अब तक
क्योंकि
इसमें मैं तो हूँ
तुम ही नहीं रहे
क्या ऐसे ही अधूरी रह जाएगी
मेरी प्रेम-कविता...।
</poem>