भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मनीषा पांडेय|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
पुरानी यादें
ठहरे हुए पानी की तरह
सड़ती हैं
अटकती हैं साँस रात भर
रातें गुज़रती हैं मुश्किल से
</poem>