भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मुझे दुनियाँ का फलसफ़ा मालूम नहीं है।
बच्चा ख़ुद को नंगा देखकर ख़ुश होता है. है।
न-जाने-हुए फलसफ़े को ढोते ढेरों लोग