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07:59, 29 दिसम्बर 2006 लेखक: [[कुँअर बेचैन]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:गज़ल]]
[[Category: कुँअर बेचैन]]
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उँगलियाँ थाम के खुद चलना सिखाया था जिसे<br>
राह में छोड़ गया राह पे लाया था जिसे <br><br>
उसने पोंछे ही नहीं अश्क मेरी आँखों से<br>
मैंने खुद रोके बहुत देर हँसाया था जिसे <br><br>
बस उसी दिन से खफा है वो मेरा इक चेहरा<br>
धूप में आइना इक रोज दिखाया था जिसे <br><br>
छू के होंठों को मेरे वो भी कहीं दूर गई<br>
इक गजल शौक से मैंने कभी गाया था जिसे<br><br>
दे गया घाव वो ऐसे कि जो भरते ही नहीं<br>
अपने सीने से कभी मैंने लगाया था जिसे <br><br>
होश आया तो हुआ यह कि मेरा इक दुश्मन<br>
याद फिर आने लगा मैंने भुलाया था जिसे <br><br>
वो बड़ा क्या हुआ सर पर ही चढ़ा जाता है<br>
मैंने काँधे पे `कुँअर' हँस के बिठाया था जिसे<br><br>