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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
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<poem>
जब चिड़िया करीब से गाती है
बेटी याद आती है
जब गिलहरी पेड़ों पर दौड़ लगाती है
बेटी याद आती है
जब हवा महुआ टपकती है
बेटी याद आती है
जब बेटी दूर चली जाती है
तब क्या वह
चिड़िया
गिलहरी
हवा
सब कुछ हो जाती है...।
</poem>
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जब चिड़िया करीब से गाती है
बेटी याद आती है
जब गिलहरी पेड़ों पर दौड़ लगाती है
बेटी याद आती है
जब हवा महुआ टपकती है
बेटी याद आती है
जब बेटी दूर चली जाती है
तब क्या वह
चिड़िया
गिलहरी
हवा
सब कुछ हो जाती है...।
</poem>