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00:00, 2 फ़रवरी 2010 '''[[पंजाबी लोकगीत]]
[[तू सच सच आख वे जोगी,
सजन मिलसी के न मिलसी.,
मिलन होसी के न होसी,
न करिये माण वतानां दा
असीं हाँ लाल परदेसी
तू सच सच आख वे जोगी
सजन मिलसी के न मिलसी
मिलन होसी के न होसी,
अधी राती दुपट्टा रंगया
न माही आया न किली टंगया
तू सच सच आख वे जोगी
सजन मिलसी के न मिलसी
मिलन होसी के न होसी,
अधी राती पकन केले
विच्छ्डयाँ नूं रब आप सेले
तू सच सच आख वे जोगी
सजन मिलसी के न मिलसी
मिलन होसी के न होसी,
अधी राती पकन आडू
वगण नदियाँ तरण तारु
तू सच सच आख वे जोगी
सजन मिलसी के न मिलसी
मिलन होसी के न होसी,
अधी राती चमकण तारे
जुदाई वाले तीर सानुं किस मारे
न तुसां मारे न असां मारे
मारण वाला प्रभु आप जाणे
तू सच सच आख वे जोगी
सजन मिलसी के न मिलसी
मिलन होसी के न होसी,]]'''