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गरज-बरस / निदा फ़ाज़ली

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|संग्रह=खोया हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली
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<poem>
गरज-बरस प्यासी धरती पर
फिर पानी दे मौला
चिड़ियों को दाने, बच्चों को
गुड़धानी दे मौला
गरज-बरस प्यासी धरती पर<br>दो और दो का जोड़ हमेशाफिर पानी दे मौला<br>चार कहाँ होता हैचिड़ियों को दाने, बच्चों सोच-समझवालों को<br>थोड़ीगुड़धानी नादानी दे मौला<br><br>
दो और दो फिर रौशन कर ज़हर का जोड़ हमेशा<br>प्यालाचार कहाँ होता है<br>चमका नयी सलीबेंसोच-समझवालों झूठों की दुनिया में सच को थोड़ी<br>नादानी ताबानी दे मौला<br><br>
फिर रौशन कर ज़हर का प्याला<br>मूरत से बाहर आकरचमका नयी सलीबें<br>चारों ओर बिखर जाझूठों की दुनिया में सच फिर मन्दिर को<br>को‌ई मीराताबानी दीवानी दे मौला<br><br>
फिर मूरत से बाहर आकर<br>चारों ओर बिखर जा<br>फिर मन्दिर को को‌ई मीरा<br>दीवानी दे मौला<br><br> तेरे होते को‌ई किसी की<br>जान का दुश्मन क्यों हो<br>जीनेवालों को मरने की<br>आसानी दे मौला<br><br/poem>
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