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{{KKRachnakaarParichay
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
}}
'''"शलभ से हिन्दी कविता का एक नया गोत्र प्रारम्भ होता है | उन्हें किसी मठ में शरण लेने की आवश्यकता नहीं है |" ---नागार्जुन'''