Changes

{{KKCatGhazal‎}}‎
<poem>
पुलिस फिरौती मांगे माँगे मितवा,शहर घिनौना लागे मितवा !
सुते पहरुआ, चोर-उचक्का
रात-रात भर जागे मितवा!
सुते पहरुआगणिका बाँचे काम,चोर -उचक्का -पतुरिया रात पीछे-रात भर जागे पीछे भागे मितवा !
दुर्जन मदिरा पान में पीछे
संत-मौलवी आगे मितवा!
गणिका बांचे काम, पतुरिया -पीछे -पीछे भागे मितवा !  दुर्जन मदिरा पान में पीछे -संत -मौलवी आगे मितवा !  कहे "'प्रभात" ' सुनो भाई जनता -भूखे लोग अभागे मितवा !!
<poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,068
edits