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Kavita Kosh से
जिन्वे टुटया अम्बरों तारा।
सच्चा न बुरा था रब्ब राक्खा, मुहँ मोड़ जाण वालिये
दिल लै के मेरा दिल तोड़ जाण वालिये
हाय दिल टुटया न जुड़े दुबारा