Changes

सावन आवन हेरि सखी / घनानंद

610 bytes added, 12:22, 9 फ़रवरी 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} {{KKCatKavitt}} <poem> सावन आवन हेरि सखी, ::मनभावन आवन …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=घनानंद
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
सावन आवन हेरि सखी,
::मनभावन आवन चोप विसेखी ।
छाए कहूँ घनआनँद जान,
::सम्हारि की ठौर लै भूल न लेखी ॥
बूंदैं लगै, सब अंग दगै,
::उलटी गति आपने पापन पेखी ।
पौन सों जागत आगि सुनी ही.
::पै पानी सों लागत आँखिन देखी ॥
</poem>
916
edits