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अफसर / कुमार सुरेश

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नया पृष्ठ: == अफसर <poem>आम तौर पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता उस आदमी के बारे मैं वह …

== अफसर

<poem>आम तौर पर कुछ भी कहा नहीं जा सकता
उस आदमी के बारे मैं
वह कितने प्रतिशत अफसर है
कितना आदमी बचा हुआ है

यू हँसता मुस्कराता भी है नाप तौल कर
कृपा भी करता है
बात कर लेता है अच्छी तरह से
एक आशंका सदा उपस्थित रहती है
जाने कब नाराज हो जाये

आब ऐसे समय कभी अफसर कभी आदमी की लहरे
आती जाती रहती है उसके चहरे पर
आप कभी बेतकल्लुफ नहीं हो सकते

कभी कभी वह बहुत ज्यादा आदमी दिखता है
मुस्कराता हुआ जिंदादिल और भला
किसी की बात को इस तरह सुनता हुआ
एक शब्द भी अगर छूट गया
तो लानत है कान होने पर

तब जो चापलूस चेहरा दिखाई देता है
और भी कम प्रतिशत आदमी होता है!
</poem>
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