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Kavita Kosh से
*[[जीना है तो बदलते रहो मौसमों के साथ/ विनोद तिवारी]]
*[[आँखें तो ढूँढती रहीं सपन-सपन-सपन / विनोद तिवारी]]
*[[कुछ चाल बाज़ ले उड़े पते ख़ुशियों से भरे ख़ज़ानों के / विनोद तिवारी]]
*[[क़ीमतें चढ़ती गई हैं इस क़दर बाज़ार की / विनोद तिवारी]]
*[[इस शहर की हर गली में बस रहे बीमार लोग / विनोद तिवारी]]
*[[ज़िंदगी जीने का कोई तो बहाना चाहिए / विनोद तिवारी]]