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Kavita Kosh से
इरेजर से
छेद होने लगा है
चित्र खींच रहे बालक की जिंदगी में भी अब
छेद होने
और अपंग होने का डर है
इतना ही नही
पेंसिल भी अब
हाथ में न आने जैसी
ठूंठी हो गयी है
एक और हँसी की बात
कि चित्र खींच रहा बालक भी
जैसे सफेद बाल वाला बूढ़ा हो गया है
'''मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली'''
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