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|संग्रह=
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वो अपने चेहरे में सौ अफ़ताब आफ़ताब रखते हैं <br>
इसीलिये तो वो रुख़ पे नक़ाब रखते हैं <br><br>
वो पास बैठे बैठें तो आती है दिलरुबा ख़ुश्बू <br>
वो अपने होठों पे खिलते गुलाब रखते हैं <br><br>
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