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वो अपने चेहरे में सौ अफ़ताब रखते हैं / हसरत जयपुरी
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04:06, 14 फ़रवरी 2010
|संग्रह=
}}
वो अपने चेहरे में सौ
अफ़ताब
आफ़ताब
रखते हैं <br>
इसीलिये तो वो रुख़ पे नक़ाब रखते हैं <br><br>
वो पास
बैठे
बैठें
तो आती है दिलरुबा ख़ुश्बू <br>
वो अपने होठों पे खिलते गुलाब रखते हैं <br><br>
Sandeep Sethi
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