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Kavita Kosh से
तुम इंशा जी का नाम न लो, क्या इंशा जी सौदाई हैं
जो हमसे कहो हम करते हैं, क्या इन्शा इंशा को समझना समझाना हैउस लड़की से भी कह लेंगे, गो अब कुछ और ज़मना ज़माना है
या छोड़ें या तकमील<ref> अंजाम तक पहुँचायें</ref> करें, ये इश्क़ है या अफ़साना है
ये कैसा गोरख धंधा है, ये कैसा ताना बाना है