गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
शाम से आँख में नमी सी है / गुलज़ार
3 bytes removed
,
05:05, 14 फ़रवरी 2010
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है <br><br>
वक़्त रहता नहीं कहीं
छुपकर
थमकर
<br>
इस की आदत भी आदमी सी है <br><br>
कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी <br>
एक तस्लीम लाज़मी सी है <br><br>
Sandeep Sethi
Delete, Mover, Uploader
894
edits