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अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं / फ़िराक़ गोरखपुरी
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16:13, 14 फ़रवरी 2010
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[[Category:ग़ज़ल]]
अब अक्सर चुप-चुप
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से रहे हैं यूँ ही कभी लब खोले हैं<br>
पहले "फ़िराक़" को देखा होता अब तो बहुत कम बोले हैं<br>
Sandeep Sethi
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