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अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझ को / क़तील
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05:22, 15 फ़रवरी 2010
मुझसे तू पूछने आया है वफ़ा के मानी
ये तेरी
सदादिली
सादादिली
मार न डाले मुझको
मैं समंदर भी हूँ, मोती भी हूँ, ग़ोताज़न भी
Sandeep Sethi
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