भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
मेरी प्रार्थना मंदिर जा नहीं सकेगी
एकान्तिक वह दूर की शून्यता तुम्हे दुखदायक नहीं लगेगी !
'''मूल नेपाली से अनुवाद: बिर्ख खड़का डुबर्सेली'''
<Poem>