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बहुत कठिन है डगर पनघट की / अमीर खुसरो
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15:26, 15 फ़रवरी 2010
कैसे मैं भर लाऊँ मधवा से मटकी
ज़रा बोलो निज़ाम पिया।
पनिया भरन को मैं जो
गइ
गई
थी।
दौड़ झपट मोरी मटकी पटकी।
बहुत कठिन है डगर पनघट की।
अनिल जनविजय
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