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02:48, 17 फ़रवरी 2010 बुझ गये ग़म की हवा से, प्यार के जलते चराग<br />
बेवफ़ाई चाँद ने की, पड़ गया इसमें भी दाग<br />
हम दर्द के मारों का, इतना ही फ़साना है<br />
पीने को शराब-ए-ग़म, दिल गम का निशाना है<br />
दिल एक खिलौना है, तक़दीर के हाथों में<br />
मरने की तमन्ना है, जीने का बहाना है<br />
देते हैं दुआएं हम, दुनिया की जफ़ाओं को<br />
क्यों उनको भुलाएं हम, अब खुद को भुलाना है<br />
हँस हँस के बहारें तो, शबनम को रुलाती हैं<br />
आज अपनी मुहब्बत पर, बगिया को रुलाना है<br />
हम दर्द के मारों का, इतना ही फ़साना है