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23:40, 21 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
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|वर्ग=अन्य गीत
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|रचनाकार=??
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<poem>ओ पंछी प्यारे सांझ सखा रे
बोले तू कौन सी बोली बता रे
मैं तो पंछी पिंजरे की मैना
पँख मेरे बेकार
बीच हमारे सात रे सागर
कैसे चलूँ उस पार
ओ पंछी प्यारे ...
फागुन महीना फूली बगिया
आम झरे अमराई
मैं खिड़की से चुप चुप देखूँ
ऋतु बसंत की आई
</poem>