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|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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अजाने जाने का अभिनय चला था नियम से,
चलेगा आगे भी, जन जन इसे जान कर ही
करेंगे भावों का विनिमय, नहीं और पथ है; लड़ाई आत्मा को कुचल कर ही शक्ति प्रद हो.।</poem>