भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
*[[कह दो धन से बल से शोहरत हासिल करने वालों से / विनोद तिवारी]]
*[[किताब खोले कभी यूँ ही सोचता हूँ मैं / विनोद तिवारी]]
*[[लिख गया नारे कोई दीवार पर / विनोद तिवारी]]
*[[सुबह बनने चली दोपहर / विनोद तिवारी]]