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Kavita Kosh से
दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदलकेबदल के
अपने हो या पराए, सब के लिए हो न्याय