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कोयल / सुभद्राकुमारी चौहान

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कुछ शब्दों का फेर बदल, जैसा कि मैंने पढ़ा था...
देखो कोयल काली है पर
मीठी है इसकी बोली
इसने ही तो कूक-कूक करआमों में मिसरी मिश्री घोली
कोयल! कोयल! सच बतलाओबतलानाक्‍या संदेशा लाई क्या संदेसा लायी हो
बहुत दिनों के बाद आज फिर
इस डाली पर आई हो।हो
क्‍या क्या गाती हो, किसे बुलाती
बतला दो कोयल रानी
प्‍यासी प्यासी धरती देख माँगतीमांगतीहो क्‍या क्या मेघों से पानी?
कोयल! यह मिठास क्‍या क्या तुमनेअपनी माँ से पाई पायी है?माँ ने क्‍या ही क्या तुमको मीठी बोली यह सिखलाई सिखलायी है?
डाल-डाल पर उड़ना गानाजिसने तुम्‍हें तुम्हें सिखाया हैसबसे मीठे-मीठे बोलोयह भी तुम्‍हें तुम्हें बताया है।है
बहुत भ‍ली भली हो तुमने माँ की
बात सदा ही है मानी
इसीलिए इसीलिये तो तुम कहलातीहो सब चिडियो चिड़ियों की रानी।रानी
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