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<poem>
कुछ तो एहसास-ए-ज़ियाँ <ref>नुकसान का एहसास</ref> था पहले
दिल का ये हाल कहाँ था पहले
सफ़र-ए-शौक़ के फ़रसंग न पूछ
वक़्त बेक़ैद-ए-मकाँ मकां था पहले
ये अलग बात कि ग़म रास है अब
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