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Kavita Kosh से
<poem>जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में
हाय तुझे इसकी खबर कब होगी
बागे दे विच सपणी जे सुइए
ते कारदी ए मेनू मेनू
बच के निकलीं मेरेया माहिया
कि न लड़ जावे तैनू
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.
चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे दा चौबारा
हीर विचारी इट्टा ढोवे
ते राँझा ढोवे गारा
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.
चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे पाई हट्टी
हीर निमाणी कम करेंदी
हाय न होवे खट्टी
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.
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