Changes

तुम कौन हो / हिमांशु पाण्डेय

1,432 bytes added, 10:25, 23 फ़रवरी 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हिमांशु पाण्डेय }} <poem> तुम कौन हो ? जिसने यौवन का व…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हिमांशु पाण्डेय
}}
<poem>
तुम कौन हो ?
जिसने यौवन का विराट आकाश
समेट लिया है अपनी बाहों में,
जिसने अपनी चितवन की प्रेरणा से
ठहरा दिया है सांसारिक गति को

तुम कौन हो ?
जिसने सौभाग्य की कुंकुमी सजावट
कर दी है मेरे माथे पर,
जिसने मंत्रमुग्ध कर दिया है जगत को
कल-कण्ठ की ऋचाओं से

तुम कौन हो ?
जिसने मेरी श्वांस-वेणु बजा दी है, और
लय हो गयी है चेतना में उसकी माधुरी,
जिसने अपने हृदय के कंपनों से भर दिये हैं
मेरे प्राण, कँप गयी है अनुभूति

तुम कौन हो ?
आखिर कौन हो तुम ?
कि तुम्हारे सम्मुख
प्रणय की पलकें काँप रही हैं
और मैं विलीन होना चाह रहा हूँ
तुममें ।
</poem>
916
edits