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फिर नज़र में लहू के छींटे हैं <br>
तुम को शायद मुघालता मुग़ालता है कोई <br><br>
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे <br>
जैसे हम को पुकारता है कोई <br><br>
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