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[[Category:गज़ल]]
<poem>दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई <br>जैसे एहसान उतारता है कोई <br><br>
आईना देख के तसल्ली हुई <br>हम को इस घर में जानता है कोई<br><br>
पक गया है शज़र पे फल शायद <br>फिर से पत्थर उछलता उछालता है कोई <br><br>
फिर नज़र में लहू के छींटे हैं <br>तुम को शायद मुग़ालता है कोई <br><br>
देर से गूँजतें हैं सन्नाटे <br>जैसे हम को पुकारता है कोई <br><br/poem>
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