भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
|रचनाकार=मुनीर नियाज़ी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]<poem>हमेशा देर कर देता हूँ मैं  
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मदद करनी हो उसकी
यार की धाड़स का धाढ़स बंधाना हो बहुत देरीना <ref>पुराने</ref> रास्तों पर
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
[देरीना= पुराना/प्राचीन]
बदलते मौसमों की सैर में
दिल को लगाना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
 
किसी को मौत से पहले
किसी ग़म से बचाना हो
उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
{{KKMeaning}}
</poem>
Delete, Mover, Uploader
894
edits