भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
<poem>
लाई वी न ना गई ते निभाई वी न ना गई,मेरे माणदा जहाँ जग मेणे मारदा जहान मैँनू सारा,
तेरी मेरी यों टुट गई, सोणिए!
सोच्च्या नहीं सी मेरा प्यार भुल जाएँगी,
एन्ने कीते कीते होए करार भुल जाएँगी,
करार भूल जाएँगी,
दिल मिल के बिछड़ गया यारा,
तेरी मेरी यों टुट गई, सोणिए!
सच्चा रब्ब राक्खा, मुहँ मोड़ जाण वालिये
हाय दिल टुटया न जुड़े दुबारा
तेरी मेरी यों टुट गई, सोणिए!
लाई वी न गई ते निभाई वी न गई,
तेरी मेरी यों टुट गई, सोणिए!
</poem>