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आबे ज़मज़म से कहा मैंने / अकबर इलाहाबादी
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04:41, 26 फ़रवरी 2010
<poem>
आबे ज़मज़म से कहा मैंने मिला गंगा से क्यों
क्यों तेरी तीनत
<ref>नीयत</ref>
में इतनी नातवानी
<ref>अक्षमता</ref>
आ गई?
वह लगा कहने कि हज़रत! आप देखें तो ज़रा
बन्द था शीशी में, अब मुझमें रवानी आ गई
</poem>
{{KKMeaning}}
Sandeep Sethi
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