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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>जुज़<ref></ref> क़ैस और कोई न आया बरूए-कार<ref></ref>
सहरा मगर बतंगिए-चश्मे-हुसूद<ref></ref> था
जुज़ क़ैस और कोई न आया ब रू-एआशुफ़्तगी<ref>परेशानी</ref> ने नक़्श-कार सवैदा<brref>दिल के दाग़ का चिन्ह</ref> किया दुरुस्तसहरा मगर ब तनगी-ए-चश्म-ए-हसूद था ज़ाहिर हुआ कि दाग़ का सरमाया दूद<brref>धुआं<br/ref>था
आशुफ़्तगी ने नक़्श-ए-सुवैदा किया दुरुस्त<br>ज़ाहिर हुआ कि दाग़ का सर्मायह दूद था ख़्वाब में ख़याल को तुझसे मुआ़मलाजब आँख खुल गई न ज़ियां<brref>हानि<br/ref>था न सूद था
था ख़्वाब में ख़ियाल को तुझ से मु`आमिलह लेता हूँ मकतबे-ग़मे-दिल<brref>जब आँख खुल गई न ज़ियां था न सूद था दिल के ग़म की पाठशाला<br/ref>में सबक़े हनोज़<brref>अभी</ref> लेकिन यही कि 'रफ़्त' -- 'गया', और 'बूद' -- था
लेता हूँ मक्तबढाँपा कफ़न ने दाग़े-अ़यूबे-ग़म-ए-दिल में सबक़ हनूज़ बरहनगी<brref>नग्नता का दोष</ref>लेकिन यही कि रफ़्त गया और बून्द था मैं वर्ना हर लिबास में नंगे-वजूद<brref>अस्तित्व का कलंक<br/ref>था
ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए-`उयूब-एतेशे बग़ैर मर न सका कोहकन<ref>फ़रहाद-बरहनगी शीरीं का प्रेमी<br/ref>'असद' मैं वरना हर लिबास में नंगसरगशता-ए-वुजूद था <brref>बंधा हुआ<br/refतेरे बग़ैर मर न सका कोहकन असद <br>सर्गश्तह-ए-ख़ुमार-एख़ुमारे-रुसूम-ओ-क़ुयूद क़यूद<ref>रीति-रिवाज</ref> था</poem>{{KKMeaning}}
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