Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} <poem> '''(राग केदारौ)''' पकरि बस कीने री नँदला…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=घनानंद
}}
<poem>
'''(राग केदारौ)'''

पकरि बस कीने री नँदलाल ।
काजर दियौ खिलार राधिका, मुख सों मसलि गुलाल ॥
चपल चलन कों अति ही अरबर, छूटि न सके प्रेम के जाल ।
सूधे किये बंक ब्रजमोहन, ’आनँदघन’ रस-ख्याल ॥१॥
</poem>
916
edits