Changes

अरी निसि नींद न आवै / घनानंद

1,017 bytes added, 09:10, 27 फ़रवरी 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=घनानंद }} <poem> '''(राग खंभाती)''' अरी, ’निसि नींद न आवै, …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=घनानंद
}}
<poem>
'''(राग खंभाती)'''

अरी, ’निसि नींद न आवै, होरी खेलन की चोप ।
स्याम सलौना, रूप रिझौना, उलह्यौ जोबन कोप ॥
अबहीं ख्याल रच्यौ जु परस्पर, मोहन गिरिधर भूप ।
अब बरजत मेरी सास-नँनदिया, परी विरह के कूप ॥
मुरली टेर सुनाइ, जगावै सोवत मदन अनूप ।
पै जिय सोच रही हौं अपने, जाय मिलौं हरि हूप ॥
इत डर लोग, उत चोंप मिलन की, निरख-निरखि वो रूप ।
’आनँदघन’ गुलाल घुमड़न में, मिलि हौं अँग-अँग गूप ॥
</poem>
916
edits