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सानूं गल नाल लाजा वे
मेरा सोहणा माही, आजा वे
</poem>||width="300" bgcolor="CEF0FF"|<poem>मिटटी दा से मैं बावा बनाणीआंबच्चा बनाती हूंउत्ते चा दिन्नी आं खेसीउसे कंबल उढ़ाती हूंवतनां वाले माण करनजिनके पति साथ हैं, वो खुश होंकी मैं माण करां मेरा पति तो परदेसीहैमेरा सोहणा मेरे सुँदर माही, आजा वे
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