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|रचनाकार=शैलेन्द्र
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[[Category:गीत]]
<poem>प्यार हुआ इक़रार हुआ है
प्यार से फिर क्यों डरता है दिल
कहता है दिल, रस्ता मुश्किल
मालूम नहीं है कहाँ मंज़िल
प्यार हुआ इक़रार हुआ ...

कहो कि अपनी प्रीत का, गीत न बदलेगा कभी
तुम भी कहो इस राह का, मीत न बदलेगा कभी
प्यार जो टूटा, साथ जो छूटा
चाँद न चमकेगा कभी
प्यार हुआ इक़रार हुआ ...

रातों दसों दिशाओं से, कहेंगी अपनी कहानीयाँ
प्रीत हमारे प्यार की, दोहराएंगी जवानीयाँ
मैं न रहूँगी, तुम न रहोगे
फिर भी रहेंगी निशानीयाँ
प्यार हुआ इक़रार हुआ ...
</poem>
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