मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ<br />{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=इंदीवर}}[[Category:गीत]]हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ<br /poem>होंठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दोबन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो
मुशक़िल से वो दिन भुलाये थे हमने<br />न उमर की सीमा हो, न जनम का हो बंधनफिर आ के छेड़ा बलम ने<br />जब प्यार करे कोई, तो देखे केवल मनफिर नई रीत चलाकर तुम, ये रीत अमर कर दोहोंठों से धरक गईं छत्तियाँ<br />धरक गईं छत्तियाँ<br />हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ<br />छूलो तुम ...
रोते हैं नैना जिया तलमलाये<br />जग ने छीना मुझसे, मुझे जो भी लगा प्याराजावो कोई उनको लाये<br />सब जीता किये मुझसे, मैं हर दम ही हाराकैसे बिताऊँ दिन-रतियाँ<br />तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दोबिताऊँ दिन-रतियाँ<br />होंठों से छूलो तुम ...हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँआकाश का सूनापन, मेरे तनहा मन मेंपायल छनकाती तुम, आ जाओ जीवन मेंसाँसें देकर अपनी, संगीत अमर कर दोहोंठों से छूलो तुम ...</poem>