मैं पंछी आज़ाद मेरा कहीं दूर ठिकाना रे।{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=इंदीवर}}[[Category:गीत]]<poem>हम छोड़ चले हैं महफ़िल कोयाद आए कभी तो मत रोनाइस दिल को तसल्ली दे देनाघबराए कभी तो मत रोनाहम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...
इस दुनिया के बाग़ में मेरा आना-जाना रे।।एक ख़्वाब सा देखा था हमनेजब आँख खुली वो टूट गयाये प्यार अगर सपना बनकरतड़पाये कभी तो मत रोनाहम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...
:जीवन के प्रभात तुम मेरे ख़यालों में आऊँ, साँझ भये खोकरबरबाद न करना जीवन कोजब कोई सहेली बात तुम्हेंसमझाये कभी तो मैं उड़ जाऊँ।मत रोनाहम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...
:बंधन जीवन के सफ़र में जो मुझ को बांधे, वो दीवाना रे।। मैं पंछी...तनहाईमुझको तो न ज़िन्दा छोड़ेगी::दिल में किसी मरने की याद जब आए, आँखों में मस्ती लहराए।खबर ऐ जान-ए-जिगरमिल जाए कभी तो मत रोना::जनम-जनम का मेरा किसी से प्यार पुराना रे।। मैं पंछीहम छोड़ चले हैं महफ़िल को ...</poem>