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'''गीतकार {{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=शैलेन्द्र}}[[Category: इन्दीवरगीत]]<poem>बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हमबरसात में ...
प्रीत ने सिंगार किया, मैं बनी दुल्हन
सपनों की रिमझिम में, नाच उठा मन
मेरा नाच उठा मन
आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
तुम मेरे सनम
बरसात में ...
जिस नैनों से झांकी जो, मेरी मस्त जवानीदुनिया से कहती फिरे, दिल की कहानीमेरे दिल की कहानीउनकी जो हूँ मैं उनसे कैसी शरमबरसात में बसा था प्यार तेरा...
उस दिल को कभी का तोड़ दियाये समाँ है जा रहे हो, हायकैसे मनाऊँमैं तुम्हारी राह में ये, तोड़ दियानैन बिछाऊँमैं नैन बिछाऊँतुम ना जाओ तुमको मेरी जान की क़समबरसात में ...
बदनाम न होने देंगे तुझेदेर ना करना कहीं ये, आस छूट जायेसाँस टूट जायेतेरा नाम तुम ना आओ दिल की लगी, मुझको ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दियाजलाये जिस दिल ख़ाक़ में बसा था प्यार तेरामिलाये  तू औरों का कोई और तेरा ,दुनिया आग़ की लपटों में हम क्यों जिंदा हैं, हम बन कर क्यों दीवार रहे, पुकारे ये सोच के हम शर्मिंदा हैं..मेरा मन ये सोच के मिल ना सके हाय मिल ना सके हम शर्मिंदा हैं.. दर कोई खुले न खुले अब तेरी राहों को हमने छोड़ दिया..  हम प्यार बरसात में थे नादान बहुत ,कुछ करना था कुछ कर बैठे , वो फूल था और के जूडे ka, हम जिस से दामन भर बैठे .. हम जिस से दामन भर बैठे... हम ने ख़ुद अपनी बहारों का विरानो से रिश्ता जोड़ दिया ...  जिस दिल में बसा था प्यार तेरा उस दिल को कभी का तोड़ दिया, हाय, तोड़ दिया बदनाम न होने देंगे तुझे तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया  जिस दिल में बसा था प्यार तेरा ...</poem>
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