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05:07, 1 मार्च 2010
जोगी जबसे तू आया मेरे दवारे<br />{{KKGlobal}}मेरे रँग गए सांझ सखारे<br />{{KKRachnaतू तो अँखियों में जाने जी की बतियाँ<br />|रचनाकार=शैलेन्द्र}}[[Category:गीत]]तौसे मिलना ही ज़ुल्म भया रे<br /poem>ओ जोगी जबसे ...<br />तुम्हारे हैं तुमसे दया माँगते हैंतेरे लाडलों की दुआ माँगते हैं
देखी साँवली सूरत ये नैना जुड़ाए<br />यतीमों की दुनिया में हरदम अंधेरातेरी छबी देखी जबसे रे नैना जुड़ाए<br />इधर भूल कर भी न आया सवेराभए बिन कजरा ये कजरारे<br />इसी शाम को एक पल भर जले जोहम आशा का ऐसा दिया माँगते हैं ...
जाके पनघट पे बैठूँ मैं, राधा दीवानी<br />थे हम जिनकी आँखों के चंचल सितारेंबिन जल लिए चली आयूँ, राधा दीवानी<br />हमें छोड़ वो इस जहाँ से सिधारेमोहे अजब ये रोग लगा रे<br />किसीकी न हो जैसी क़िसमत है अपनीओ जोगी जबसे तू दुखी दिल सभी का भला माँगते हैं ...
मीठी मीठी अगन ये, सह न सकूँगी<br />बचा हो जो रोती क टुकड़ा दिला दोमैं तो छुई-मुई अबला रे, सह न सकूँगी<br />जो उतरा हो तन से वो कपड़ दिला दोमेरे और निकट मत आ रे<br /poem>ओ जोगी जबसे तू ...