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काला शाह काला / पंजाबी

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पुकारता चला हूँ मैं<br/>{{KKGlobal}}गली गली बहार की<br/>{{KKLokRachnaबस एक छाँव ज़ुल्फ़ की<br/>|रचनाकार=}}{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=पंजाबी}}बस इक निगाह प्यार की<br/poem>पुकारता चला हूँ काला शाह काला, मेरा काला ई सरदारगोरेआं नु दफा करो, मैं<br/>आप तिल्ले दी तारकाला शाह काला...
ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की<br/>सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो ऐबी दो शराबीयहीं तो बात हो रही है काम की<br/>कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरफ़<br/>कोई नज़र तो होगी जेहड़ा मेरे नाम की<br/>हाण दा ओ खिड़आ फुल्ल गुलाबीपुकारता चला हूँ मैं<br/>काला शाह काला...
सुनी मेरी सदा तो किस यक़ीन से<br/>सस्ड़ीए तेरे पंज पुत्तर, दो टीन दो कनस्तर घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे<br/>रही यही लगन तो ऐ दिल-जेहड़ा मेरे हाण दा ओ चला गया -जवाँ<br/>दफ्तरकाला शाह काला...असर भी हो रहेगा इक हसीन पे<br/poem>पुकारता चला हूँ मैं
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