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<poem>
चोप करि चंदन चढ़ायौ जिन अंगनि पै,
::तिनपै बजाइ तूरि धूरि दरिबौ कहौ ।
रस रतनाकर सनेह निखारयौ जाहि,
::ता कच कों हाय जटा-जूट बरिबौ कहौ ॥
चंद अरविंद लौं सराह्यौ ब्रजचंद जाहि,
::ता मुख कौं काकचंचुवत करिबौ कहौ ।
छेदि-छेदि छाती छलनी कै बैन-बाननि सौं,
::तामें पुनि ताइ धीर-नीर धरिबौ कहौ ॥38॥
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